Tanhaiyo se gujar rahaa hu me

तन्हाइयो से गुजर रहा हूँ मैं,

है भीड़ का साथ, पर तेरी हर बात को सोच कर

पल पल विरहा में जल रहा हु मै

साथ बैठ बुने थे वादे जो हमने, 

उन वादों की वास्तविकता खोज रहा हु मै

साधारण सा है मेरी हर बात का मतलब,

फिर क्यू हर बार खुद ही से उलझ रहा हु मै

जिक्र भी नहीं है तुम्हारी बातो मै मेरा,

यहाँ हर शुरुआत तुज ही से कर रहा हु मै 

मूकदर्शक बना है हर कोई इस केहर का, 

कतरा कतरा खून सा बह रहा हु मै 

चाहता हु कहना हर बात मै तुमको, 

कुछ तो समझो, आँखों से कह रहा हु मै 

वो रात थी मेरी, उस पर हर बात थी तेरी, 

क्यू खुद मै ही गुमनाम की तरह रह रहा हु मै 

कह कह के तुझको बह रहा हु मै,

अजब शोर है मेरी ख़ामोशी मै 


फिर एक बार चुप रह कर, कितना कुछ कह रहा हु मै .. ! 

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